मुनव्वर फारुकी पिछले 1 महीने से जेल में बंद है उस joke के लिए जिस जो को उसने अभी तक बोला ही नहीं।
कथित तौर पर ऐसा बताया गया है की मुनव्वर फारूकी के चुटकुलों से हिंदू धर्म के देवी-देवताओं का अपमान हुआ था।
धर्म चाहे जो कोई भी हो क्या हिंदू क्या इस्लाम क्या सिख इसाई जैन यहूदी, धर्म को हानि पहुंचती है अगर कोई धर्म से जुड़ा कोई चुटकुला सुना दे या फिर कोई कार्टून बना दे।
इसीलिए धर्म के शुभचिंतक सदैव इस बात के लिए तत्पर रहते हैं कि वह ऐसे चुटकुला वाचक और कार्टूनिस्ट की पहचान कर सकें, जिनकी व्यंग की वजह से धर्म की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचती है।
धर्म की रक्षा के लिए रात दिन 7 दिन अपने आंख कान खुले रख कर के धर्म के शुभचिंतक हमारा कल्याण कर रहे होते हैं। वह अपनी इस कर्तव्य पालन का कोई राजनीतिक लाभ लेने का भी नहीं सोचते।
वह सिर्फ समर्पण भाव से धर्म की रक्षा में लगे हुए रहते हैं।
मैं इस पर विचार कर रहा था तो मेरे मन में एक विरोधाभास आया। क्या अंधविश्वास से धर्म को हानि नहीं पहुंचती। क्या अंधविश्वास से धर्म की रक्षा नहीं की जानी चाहिए?
क्योंकि अंधविश्वास की वजह से लोग काफी घृणित कृत्य कर जाते हैं और वह सफाई में यह कहते हैं कि हमने यह काम धर्म के लिए किया। अंधविश्वास की पकड़ में तो पढ़े-लिखे डिग्री होल्डर्स भी आ जाते हैं।
अंधविश्वास की चपेट में आकर के लोगों ने स्वयं का और अपने प्रिय जनों का प्राण तक हर लिया।
क्या इस तरह के काम से धर्म की प्रतिष्ठा को कोई हानि नहीं पहुंचती? क्या इन सब से हमारी देवी देवताओं का अपमान नहीं होता?
अपनी इस उत्सुकता को मैंने अपने मित्र पाखंड प्रिय धर्माधिकारी के सामने प्रस्तुत किया। मैंने पूछा कि बाबा अंदर की बात बताओ अंधविश्वास से धर्म को खतरा क्यों नहीं है?
इस पर पाखंड प्रिय धर्माधिकारी ने मेरे ज्ञान चक्षु खोलने बाला ज्ञान मुझसे साझा किया। जिसे हम अंधविश्वास कहते हैं वह साधक का विश्वास होता है। जिसे आप अंधश्रद्धा कहते हो उसी में भक्तों की श्रद्धा होती है।
इसी श्रद्धा की वजह से भक्त गॉड और गॉडमैन के बीच में फर्क भूल जाता है। वह गॉडमैन को ही गॉड मान लेता है। क्योंकि भक्तों को इस बात का यकीन हो चला होता है कि यह धर्म अधिकारी भगवान के साथ सीधे संपर्क में है।
साधक इस बात पर पूरा यकीन कर चुका होता है कि हम एक मैट्रिक्स मूवी जैसी किसी रियालिटी में जी रहे हैं जहां सब कुछ मिथ्या है और सत्य अगली दुनिया में ही मिलने वाला है।
इस मिथ्या से मुक्ति पाने के लिए साधक बस उन टोटकों का निष्ठा पूर्वक पालन करता है।
बात धर्म के अपमान की तो भाई लाख बात की एक बात की कोई धर्मगुरु धर्म का अपमान कैसे कर सकता है। धर्मगुरु कुछ भी बोले वह सब सत्य होता है क्योंकि वह तो स्वयं भगवान ही बोल रहे होते हैं।
भगवान जो करते हैं वह सही करते हैं कुछ गलत करते ही नही।
उसके बाद पाखंड प्रिय ने मुझे थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी का एक उदाहरण देकर के समझाया कि अगर कोई धर्मगुरु कुछ अनाप-शनाप वाक्य बोलता है तो वह साधक के लिए ब्रह्म ज्ञान होता है। अगर कोई दूसरे धर्म का या राजनैतिक विचारधारा का व्यक्ति उस अनाप-शनाप ज्ञान का उपहास उड़ाता है तो वह धर्म का अपमान हो जाता है।
21वीं सदी में विज्ञान की एक नई शाखा ने जन्म लिया है। विज्ञान की यह शाखा धर्म और उससे जुड़े विश्वास जिसे कोई कोई अंधविश्वास भी कहते हैं उसका वैज्ञानिक प्रमाण तलाश करने की कोशिश करता है।
physics chemistry biology intergalactic alignment of stars planets cosmic rays coming from deep space , string theory और मल्टीवर्स थ्योरी के माध्यम से बड़ी-बड़ी मान्यताओं को एक वैज्ञानिक प्रमाण दिया जा सकता है।
विज्ञान के लोग का सिर्फ नाम मात्र लेने से ही बड़े-बड़े पीएचडी doctorates और साइंटिस्ट भी धर्म की मान्यताओं को अंधविश्वास कहने का साहस नहीं जुटा पाते।
पाखंड प्रिय धर्माधिकारी के साथ इस संवाद के बाद मुझे समझ में आ गया की, कैसी किसी धर्म गुरु की कॉमेडी धर्म की रक्षा के लिए सहायक सिद्ध होती है, और कैसे किसी कॉमेडियन या कार्टूनिस्ट का व्यंग धर्म को संकट में डाल सकता है।
यह बात क्लियर हो गई कि कैसे नित्यानंद कईसे धर्मगुरु धर्म का उपहास नहीं करते।
e equals to mc square की नई परिभाषा धर्म के हित के लिए है।
money doesn't matter money doesn't matter, आपके पास इस जन्म में पैसे हैं मगर इस बात की क्या गारंटी कि आपके पास अगले जन्म में भी पैसे होंगे। इसलिए आप इस जन्म में हमें डोनेशन दो और हम आपको आपके पैसे आपके अगले जन्म में आपको लौटा देंगे।
इसलिए इस तरह की बातें कॉमेडी नहीं होती और इससे धर्म को कोई नुकसान नहीं।
मगर किसी बाहरी के मौजूदगी मात्र से चाहे वह बस 50-६० कॉलेज स्टूडेंट्स को ही क्यों ना संबोधित कर रहा हो, धर्म को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।
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