ऑफेंडिंग आयोग का गठन राष्ट्रवाद के इस स्वर्णिम युग में बहुत ही जरूरी है

हम राष्ट्रवाद की एक स्वर्णिम युग में जी रहे हैं. सोशल मीडिया पर देशभक्तों की कोई कमी नहीं है. हमारे देशभक्त एक सिपाही की तरह टि्वटर फेसबुक जैसी वेबसाइट पर टुकड़े टुकड़े गैंग और अर्बन नक्सल्स की निगरानी करते रहते हैं.  

जिस प्रकार देश के बॉर्डर पर हमारी आर्मी आतंकवादियों को घुसपैठ नहीं करने देती, उसी प्रकार Twitter warriors इस बात को सुनिश्चित करते हैं की कोई Anti National आलोचनाओं की सीमा को लांघ ना सके .  


प्रशांत भूषण कुणाल कमरा और रचिता तनेजा जैसे एंटी नेशनल जब भी आलोचनाओं के द्वारा सरकार या सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते पाए जाते हैं तो फिर यही सोशल मीडिया वॉरियर्स; अपनी petitions की बंदूक चला कर देश की सेवा करते हैं और देश को विभाजित होने से बचाते हैं. 

देश की सेवा में इनका निस्वार्थ योगदान सराहनीय है. 

किंतु हम यह भी जानते हैं कि हमारे न्यायालय के पास pending cases की कोई कमी नहीं है. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर कि सुप्रीम कोर्ट तक pending cases ko सिर्फ तारीख पे तारीख ही मिलती है. बैकलॉग बहुत ही ज्यादा है. 

लेकिन हमारे देश को कार्टूनिस्ट और कॉमेडियंस से भी बचाना जरूरी है. 

इस बात पर मैं अपने न्याय तंत्र और सरकार को एक सुझाव देना चाहूंगा। जिस प्रकार नीति आयोग एक कांस्टीट्यूशनल बॉडी है, उसी प्रकार ऑफेंडिंग आयोग नामक एक संस्था का गठन करना चाहिए। 

ऑफेंडिंगआयोग की अध्यक्षता किसी आई ए एस ऑफिसर से या फिर किसी रिटायर्ड जज से करानी चाहिए. 

सरकार और न्यायालय की आलोचना करने वालों को सोशल मीडिया पर इस आयोग के कर्मचारी ढूंढ ढूंढ कर निकाला करेंगे। और उनको ऑफिसियल नोटिफिकेशन भेजकर के जुर्माने की राशि की वसूली कर सकेंगे। 

आयोग द्वारा दोषी पाए गए सोशल मीडिया अकाउंट को जुर्माने की राशि यू पी आई के माध्यम से आयोग में जमा करानी होगी। 

इस तरह यूपीआई की उपयोगिता यूएपीए से भी श्रेष्ठ हो जाएगी. 

social media पे डाले गए विवादित पोस्ट को लाइक कमेंट शेयर और सब्सक्राइब करने वाले यूजर्स को भी संकेतिक जुर्माना राशि यूपीआई के माध्यम से आयोग में जमा करानी होगी। 

सांकेतिक जुर्माना राशि ₹1 से ₹10 के बीच में तय की जा सकेगी। यह उस समय चल रही मुद्रास्फीति की दर के हिसाब से आयोग डिसाइड कर सकेगा. 

अल्कोहल के संपर्क में आकर के बेलगाम ट्वीट करने वाले users, offending आयोग के जुर्माना राशि से बचने के लिए ऑफेंडिंग इंश्योरेंस का भी सहारा ले सकेंगे। 

इस प्रकार पेटीशनर्स सुप्रीम कोर्ट का समय बर्बाद ना करके आयोग को सूचित करके राष्ट्रहित के प्रति अपने कर्तव्य का पालन कर सकेंगे। 

आयोग भी कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुर्माने की राशि को वसूल करके देश की वित्तीय घाटे को भरने में अपनी तरफ से एक अमूल्य योगदान दे सकेगी।

अगर कोई पोस्ट डालने से पहले आपको लगेगा कि यह विवादित हो सकता है तब आपको सिर्फ ₹2000 की रकम की व्यवस्था करनी होगी और उसके बाद आप बेधड़क होकर के अपनी अभिव्यक्ति की आजादी सोशल मीडिया वेबसाइट पर प्रैक्टिस कर सकोगे . 

कुणाल कमरा जैसे सीरियल ऑफेंडर्स आयोग द्वारा एक मंथली पास की सुविधा भी ले सकेंगे और आयोग को दी गई राशि पर income tax में छूट भी क्लेम कर सकेंगे. 

आर्थिक रूप से असमर्थ users crowdfunding financing, disclosed or undisclosed sponsorship from political parties का सहारा लेकर के अपनी अभिव्यक्ति की आजादी का पालन कर सकेंगे। 

इस मॉडल में सरकारी एवं गैर सरकारी रोजगार का उत्सर्जन भी होगा। और हमारे न्यायालय के पास ज्यादा महत्वपूर्ण cases के निपटारे के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।

हमारा देश फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज के इनोवेशन के लिए अग्रणी है. ऑफेंडिंग आयोग भी उसी दिशा में नए इन्नोवेशंस को प्रेरित कर सकेगा. 

वित्त मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को मेरे इस सुझाव पर गौर करना चाहिए। और इस दिशा में जनता से और सुझाव लेने के लिए एक कंसल्टेशन पेपर अविलंब जारी कर ही देना चाहिए। 

फिलहाल आप को सरकार के कंसल्टेशन पेपर का वेट करने की जरूरत नहीं है। आप इस पोस्ट के कमेंट सेक्शन में अपने सुझाव आज ही शेयर कर सकते हो।

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