क्या एक comedian के tweets से supreme court की अवमानना और कार्य में बाधा होती है?
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के ऊपर आपत्ति जनक ट्वीट किए जाने कि वजह से Kunal Kamara के ऊपर अदालत की अवमानना का केस चल रहा है।
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29 January 2021 को अदालत में कुणाल ने इसी केस में अपनी affidavit submit की हैं।
आज के इस विडियो में हम उसी affidavit के कुछ मुख्य points को समझेंगे। मैंने उन पॉइंट्स को हिंगलिश में translate किया हैं। यह वर्ड by word translation नहीं है।
अगर कोई comedian Joke करता है तो वह अपनी समझ से यह सोचता है कि लोग इसपर हसेंगे। अगर किसी को Joke funny ना लगे तो वह उस जोक पर नहीं हसेगा, या उस जोक को ignore karega।
ठीक उसी प्रकार जैसे हमारे राजनेता अपने आलोचकों को ignore करते हैं।
जोक का जीवन यही समाप्त हो जाना चाहिए।
कुनाल हमें attention economy ki कड़वी सच्चाई बताते हैं - अगर किसी आलोचना को आप ज्यादा तवज्जो दोगे तो वह आलोचना सत्य के करीब खड़ी दिखने लगेगी।
वह आगे कहते है कि
मैं अपनी कॉमेडी के जरिए प्रभावितों को comfort देने का प्रयास करता हूं। और जो लोगो के जीवन प्रभावित करके comfortable baithe हैं उनको अपने satire ke through uncomfortable karne ki koshish karta hoon
ek joke ka उदाहरण दिया उन्होंने
behind every successful indian businessman there is an Indian nationalised bank
Judiciary की इमेज लोगों को नजर में कैसी होंगी यह उसके एक्शन से प्रभावित होगा , , ना कि मेरे tweets से।
अगर कोई यह समझता है कि एक comedian भारत जैसे मजबूत लोकतंत्र के उच्च संस्थान सुप्रीम कोर्ट की बुनियाद हिला देगा तो वह मेरी क्षमता को कुछ ज्यादा ही समझ रहा है।
वह यह भी कहते हैं कि -
अगर हम यह बात करें की एक democracy में कोई institution of power आलोचना से परे है, तो यह एक मजाक होगा ठीक उसी प्रकार जैसे बिना किसी planning के किए गए lockdown के बाद प्रावासी मजदूरों से कहां जाए कि अपना रास्ता स्वयं ही ढूंढ लो।
मुझे यकीन नहीं होता कि किसी जोक की वजह से कोई High authority अपनी ड्यूटी और responsibility नहीं निभा कर पाएगा।
एक comedian अपने unique style में अपनी बात रखता हैं।
बढ़ा चढ़ा के बोलना उसकी फितरत है। ऐसे ही वह महत्वपूर्ण बातों को तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित कर पाता है।
comedian को अपनी बात रखने के लिए लंबे चौड़े लेख लिखने कि स्वतंत्रता नहीं होती। उसको सटीक होना होता है।
Last but not the least, unke hisab se
ऐसा लगता है की offence लेना अब हमारे देश में एक fundamental right हो गया है। यह अब बहुत से लोगों का सबसे पसंदीदा indoor sport भी बन गया है।
जैसे कि आप मुनव्वर फारूकी का ही example ले लो। वह 1 महीने से जेल में बंद है उस joke के लिए जिस जोक को उसने अब तक बोला ही नहीं।
हमारे देश में intolerance बढ़ता ही जा रहा है।
यह थे कुणाल कमरा के एफिडेविट के कुछ important points
इस पर आप apni राय इस वीडियो के कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा
मिलते हैं offline therapy ke kisi दूसरे वीडियो में
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