कालिर अतीत Indian Movie in race for Oscar Awards Nominations #Oriya #kalirAtita

2006, Nila Madhab Panda अखबार में एक तस्वीर देखते हैं एक अकेले हैंडपंप की जो समुद्र के बीच में खड़ा था।

पांडाजी अचंभित हो जाते हैं कि कैसे एक हैंडपंप जिसे हम अपने गांव में जमीन में गड़ा हुआ देखते हैं वह समुद्र के बीचोबीच कैसे खड़ा है।

पांडा जब उस समुद्र तट पर जाते हैं तो वहां उन्हें एक पागल सा व्यक्ति मिलता है जो उन्हें बताता है की जहां पर वह हैंडपंप खड़ा है वहां पर उसका गांव है। उसका घर उसका परिवार सबको सब कुछ समुद्र ने खा लिया। जिसकी वजह से उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया।

उसके बाद नीला माधब पांडा की एक दशक लंबी समय यात्रा शुरू होती है। सताभाया 7 गांव का एक समूह है, जो sea ingression का शिकार होता है।

समुद्री अंतर ग्रहण। समुद्र द्वारा कोस्टल एरिया का कटाव होना जिसकी वजह से धरती समुद्र में समा जाती है।

2006 में साता भाया समूह के सिर्फ 2 गांव समुद्र के अंदर समाहित हुए थे। 2018 तक साता भाया समूह के सातों गांव समुद्र में समा चुके थे।

नीलामाधाब दत्ता ने इन सभी गांव को अपने सामने समुद्र में समाते हुए देखा।

नदिया अपने साथ जो सेडिमेंट समुद्र में ले आती है वह अब उतना नहीं आ पा रहा। इसकी वजह से समुद्र अपनी तरफ से कोस्टल एरियाज में जमीन का कटाव कर रहा है।

कलीरा अतीता इस विषय पर बनी एक फीचर फिल्म है जो अब
ऑस्कर के विभिन्न कैटेगरी के लिए नामांकित हुई है। कलीरा अतीता ऑस्कर में बेस्ट पिक्चर बेस्ट एक्टर और बेस्ट डायरेक्टर के लिए नॉमिनेटेड है वह भी ऑस्कर की जनरल कैटेगरी के अंतर्गत।
नीला माधब पांडा की यह पहली उड़िया फिल्म है।
ऑस्कर की जनरल कैटेगरी में नॉमिनेट होना भारतीय सिनेमा के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

इस फिल्म के पोस्टर में आप जिस हैंडपंप को देख रहे हैं यह वही हैंडपंप है, जिसकी तस्वीर नीला माधव दत्ता ने 2006 के एक समाचार पत्र में छपी देखी थी।

Climate change को अगर समझता है तो आपको यूट्यूब पर साधा भाया डॉक्युमेंट्री जरूर देखनी चाहिए। जब भी यह फिल्म हमें देखने के लिए उपलब्ध होगी तब हमें यह फिल्म भी जरूर देखनी चाहिए।

नदियों का प्रवाह, नदियों पर होने वाले ढेर सारी Dams के कंस्ट्रक्शन और अन्य विकास के कार्य की वजह से बाधित होता है।

साता भाया के यह 7 गांव इसका उदाहरण है। एक-एक करके sea ingression की वजह से यह 7 गांव अब समुद्र में समा चुके हैं।

यह फिल्म जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के तरफ हमारा ध्यान आकर्षित करने का सफल प्रयास करती है।

इस धरती पर जब मानव नहीं थे तब भी जलवायु परिवर्तन होता था। यह बात सत्य है। किंतु अभी जो जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसमें प्राकृतिक कारण कम और पर्यावरण पर हमारा हस्तक्षेप ज्यादा प्रभावी है।

Climate change is not a hoax
Climate change is here


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