सरकार अपनी आलोचना करने वाली मीडिया संस्थानों को मानहानि के नोटिसेज एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट सीबीआई और अन्य संस्थानों के जरिए दबाने का प्रयास करती हुई नजर आती है।
साथ ही साथ सरकार अपनी आलोचना को सराहना के स्वर के साथ भी दबाने का प्रयास कर रही है. इन सराहना की स्वरों को हम बीजेपी आईटी सेल के नाम से जानते हैं. IT CELL के माध्यम से सरकार अपनी सराहनाओं का प्रोपेगेंडा इतनी ज्यादा प्रसारित कर रही है कि एक सामान्य नागरिक के लिए आलोचनाओं के स्वर का एक्सेस मुश्किल हो जाए। इसे हम ब्रेन हैकिंग के नाम से जानते हैं। एक प्रबल प्रोपेगेंडा हमारे सोचने एवं समझने की क्षमता पर प्रभाव डाल सकता है। एक नागरिक होने के नाते हमें यह समझना होगा की वह दिन लग चुके हैं जब 5 साल में एक बार चुनावों का मौसम आता था और हमें चुनाव प्रचार देखना होता था। समय के साथ अब हम एक इंफॉर्मेशन युग में आ चुके हैं जहां राजनीतिक पार्टियां रात दिन 7 दिन लगातार एक चुनाव प्रचार कर रही हैं। अब यह हमें अपना वोटर बनाने का टारगेट नहीं करती इनका टारगेट अब हमें भक्त बनाने का रहता है। यह बात पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए लागू होती हैं। कोई नरेंद्र मोदी या आदित्यनाथ का भक्त है तो कोई रवीश कुमार या कन्हैया कुमार का भक्त है। हमारा लोकतंत्र अब व्यक्ति विशेष की भक्ति का तंत्र होता जा रहा है। विचारधारा या आईडियोलॉजी उसके बाद आती है। यह एक खतरे का संकेत है। एक आदर्श पत्रकारिता किसी भी विचारधारा का मुखपत्र नहीं हो सकती। और एक आदर्श सरकार अपनी विचारधारा से मेल नहीं खाने वालों का मुख भी बंद नहीं कर सकती। वास्तविकता यह है कि हम इस आदर्श स्थिति में नहीं जी रहे। और सलूशन यह है कि हमें अपने विचारों से Rationalहोना होगा।
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