Fake news का वर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है!

Fake news का वर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है। Fake news एक ऐसा समाचार होता है जो वास्तविक नहीं होता। वह एक गलत सूचना या अफवाह होती है। 


और वर्चस्व होता है टोटल कंट्रोल पूरा नियंत्रण।


Fake news का काट होता है फैक्ट चेकिंग, स्पष्टीकरण और काउंटर फेक न्यूज़। 


राजनीति के जानकर, फेक न्यूज़ को नैरेटिव और उसके काट को काउंटर नैरेटिव कह के संबोधित करते है। 


लेकिन, समय के साथ टेक्नोलॉजी में भी काफी तरक्की हो रही है। 


Deep fake आज इतना प्रभावी हो गया है की किसी नेता के लाइव फीड वीडियो यानी कि सीधे प्रसारण में उसको मॉडिफाई करके प्रसारित करना संभव हो चुका है। 


इधर नेताजी अपने मुख से मधुर वाणी बोल रहे हैं, और उनका सीधा प्रसारण कर रहा वीडियो पत्रकार उनकी आवाज के साथ छेड़छाड़ करके ऐसा ब्रॉडकास्ट कर सकता है की ऐसा लगे कि नेताजी तबीयत से पत्रकार की धोबी पाट धुलाई कर रहे हो। 


नेताजी की किसी "ऊंचे विचार" को फेक न्यूज़ के सीधा प्रसारण में दौरान कोई "ओछी" बात के रूप में दिखा देना संभव हो चुका है। 


अब आप ओछे और ऊंचे के उदाहरण से ही समझ लो। च को छ बनाना कितना आसान है। 


इधर नेता जी ने "चुनावों में सही विकल्प चुनिए" ऐसा बोला। 

और उधर fake news बालों ने "चुनिए" के "न" को  "त" कर दिया। 


इधर नेताजी ने पूछा कि आपके परिवार में सब कुशल मंगल तो है ना! माता जी कैसी हैं, आपकी बहन जी कैसी हैं. 

इस वीडियो को तोड़ मरोड़ करके मां बहन की गाली के रूप में प्रसारित कर दिया जाता है। 


जे वीडियोस देखने में एकदम ही स्पष्ट और असली लगते हैं। 


लेकिन कोई निष्कर्ष निकालने से पहले आपको दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के द्वारा जनहित में चलाए जा रहे आईटी सेल के काउंटर नैरेटिव को देखना चाहिए। 


उनके ही ज्ञान बांटने के कारण हम यह जान पाए हैं की टेक्नोलॉजी ने कितनी तरक्की कर रखी है। अन्यथा फेक न्यूज़ हमें सत्य सा लगता। 


अब आप ही बताओ कि कोई संत महात्मा अपशब्द कैसे बोल सकता है। 


यह तो आपको कपड़े देख कर के ही समझ जाना चाहिए की वल्कल वस्त्र धारी युगपुरुष व्यक्ति ओछी बात बोल ही नहीं सकता। 


क्योंकि हमारी संस्कृति में व्यक्ति को उसके कपड़े और जूते से पहचान जाने की परंपरा है। 


खास करके ऐसा व्यक्ति जिसने संसार के सारे मोह माया को त्याग करके सन्यासी हो चुका हो। 


वह तो विश्व गुरु भारत मैं जगत कल्याण के लिए संत महात्माओं को राजनीति में आना ही पड़ता है। 


ऐसे सन्यासी व्यक्ति पर अगर गाली गलौज का आरोप लग रहा है तो आप समाचार के श्रोताओं को ऐसा fake समाचार देखते ही, स्वयं से स्वयं को क्लेरिफिकेशन प्रस्तुत कर देना चाहिए। 


आपको अपने धर्म के धर्माधिकारी पर विश्वास और श्रद्धा होनी चाहिए। आपके पुरातत्व से पुराने धर्म का सन्यासी व्यक्ति अपशब्द बोली नहीं सकता। वह तो दूसरे धर्म के कट्टरपंथियों का काम है। 


पुरातन धर्म के कट्टरपंथियों, I mean सन्यासियों का नहीं। 


हमारे सन्यासी तो सफल वक्ता होते हैं। दृढ़ इच्छाशक्ति के स्वामी होते हैं। अपनी कल्पना को सत्य में कन्वर्ट तक करना जानते हैं। अपनी महिमा से एक प्रदेश क्या पूरा का पूरा एक नया देश, वह भी ऑनलाइन खड़ा कर जाते हैं। 


और हमारे संविधान ने हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी तो दे रखी है। उसका भी तो मान रखिए। 


जबान फिसलना और गाली गलौज भी अभिव्यक्ति का एक  प्रकार हैं। 


अब आप इस पूरे प्रकरण की गहराई को समझो,


Fake news का प्रयास हमारा ब्रेन हैक करने का होता है। ताकि हम वह देख और समझ सके जो अफवाह फैलाने वाला चाहता है। 


इसी ब्रेन हैकिंग के द्वारा फेक न्यूज़ का रचयिता हमसे हमारी आस्था और हमारी अखंड भक्ति को मिटाने का प्रयास करता है।  


हमारी मन मस्तिष्क के वशीकरण के द्वारा फेक न्यूज़ रचयिता चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास करता है। हमारी भावनाओं को मैनिपुलेट करके अफवाहों के द्वारा वह अपना राजनैतिक सिक्का चलाना चाहता है। 


Eco chamber आपको अपने श्रद्धा एवं भक्ति को बचाने का एक सफल माध्यम हो सकता है। Eco chamber के बारे में हम विस्तार से किसी अन्य वीडियो में चर्चा करेंगे। 


इस Blog Post को शेयर कीजिए लाइक माइंडेड लोगों मे ताकि हम हमारा एक Eco chamber बनाते हैं। 


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कमेंट सेक्शन में इस बिचिंग को आगे बढ़ाते हैं, और सब्सक्राइब करेंगे तो ऐसी ही मनोहर कहानियां आपको और मिलती रहेंगी। 


व्यंगमेव जयते


- फ़्रीवास्तवजी

(Free Speech वाले)


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