Out of Box Thinking


सीधी उंगली से ghee ना निकलने पर उंगली टेढ़ा करने को कोई भी बता सकता हैं।
लेकिन एक आलस्य से परिपूर्ण व्यक्ति कुछ भी ना करने की सलाह देगा।
और Process oriented व्यक्ति आपको क्रोनोलॉजी में पहले चम्मच खोजने को कहेगा। 
Health conscious conservative व्यक्ति आपको घी से social distancing की सलाह देगा।  
मगर एक out-of-the-box सोचने वाला व्यक्ति आपको डब्बा ही उल्टा करके उसको पेंदी से ठोक कर; इस उहापोह को ही disrupt करने का आदेश देगा।

एक युगपुरुष होने के लिए यह आवश्यक है कि आप out-of-the-box सोचे. अगर आप सामान्य लोगों से हटकर के अपनी एक डिफरेंट सोच को स्थापित कर पाओगे तो यकीनन लोग भी समय के साथ आपकी टैलेंट को पहचान लेंगे. 

Protocol का पालन करने की परंपरा साधारण लोगों के लिए होती हैं. आउट ऑफ़ बॉक्स थिंकिंग वाले लोग नयी परम्पराओ की शुरुआत करते हैं.

दवाई हो तो कोई भी इलाज कर सकता है। इसमें क्या बड़ी बात है।
आयुर्वेद को एलोपैथ से श्रेष्ठ कोई भी बता सकता हैं। 
लेकिन जो प्लेसिबो थेरेपी और मोबाइल एप्लीकेशन से लोगों का इलाज कर सके, उसके इलाज को इलाज नहीं चमत्कार कहते हैं। 

झूठ मुठ की दवा में भी जो इलाज निकाल सके वही तो आपदा को अवसर बना सकता है। 
आखिरकार आस्था, भक्ति और अखंड विश्वास को 
भी scientific research के द्वारा प्रमाणित किया जा सकता हैं। 

विषम परिस्थितियों में out-of-the-box सोचने वाले ही तो कठिन कार्य को पहले निपटा लेने की सलाह देते हैं। Low hanging fruit को तोड़ना ऐसी युगपुरुष लोगों की प्रतिष्ठा के विपरीत होता है।


Time is a relative concept, इसलिए वह टाइम मैनेजमेंट की नहीं New World order, paradigm shift in geo political economy, astrology और प्राचीन नालंदा विष विद्यालय पर अपना ध्यान केंद्रित रखता हैं। 

Out-of-the-box होने का बस एक छोटा सा साइड इफेक्ट होता है कि कभी कभार ओवर साइट हो जाता है। Oversight तो आप जानते ही होंगे कुछ एकाध छोटे-मोटे typning erorr इधर उधर तो हो ही जाते हैं। 
Oversight के बोध का ओवर साइट out-of-the-box एप्रोच का हिस्सा है।

हवाई यात्रा के दौरान केबिन में हवा के दबाव के कम होने की स्थिति में खुद को पहले मास्क पहना कर दूसरों की मदद करने का काम तो कोई भी साधारण व्यक्ति कर सकता है। 
लेकिन दिलेरी तो ऐसी आपदा के वक्त कपालभाती और प्रणायाम करने में होती है। 

क्योंकि out-of-the-box सोचने वाले मिथक और stereotypes तोड़ने वाले भी होते हैं। 

समय के साथ हम Evolve होते रहते हैं। 


Fake it till you make it, इस तरह के स्ट्रेटजी पिछली सदी के कैपिटलस्ट्स की देन हैं।
अब हम 21वीं सदी के information age में जी रहे हैं। आज की Nationalist स्ट्रेटजी "fake it till you distract it with something else", ज्यादा कारगर है, ज्यादा प्रभावी है।

प्राचीन काल में एक व्यक्ति एक मरे हुए चूहे से व्यापार शुरू करके अपने नगर का अंबानी बन जाता है। 

Once upon a time, एक आउट ऑफ द बॉक्स सोचने वाला व्यक्ति एक इमोशनल योजना ले करके आता है। 
लोग उसके बिजनेस वेंचर में बढ़ चढ़ करके डोनेशन देते हैं। 
उस पैसे से एक प्रोडक्ट को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया जाता है। वह प्रोडक्ट विदेशों में अच्छे खासे दाम पर बेचा जाता है। 

और जिन लोगों ने उस बिजनेस के लिए Crowd Fund किया था उन्हें भी वह उत्पाद मुंह मांगे पैसे देकर के ही खरीदना पड़ता है। 

साधारण और सीधी सादी सोच वाला व्यक्ति ऐसे बिजनेस मॉडल को लोगों में नहीं बेच पायेगा। 

डोनेशन छोड़ो, लोगों के जेब से बारह आने और बैंक से loan sanction करवाने के लिए उसको 55 तरह के पापड़ बेलने पड़ेंगे। 

लेकिन out-of-the-box सोचने वाला व्यक्ति अपने 56 वर्षों के अनुभव का दिलासा देकर लोगों को भावुक कर कर लाखों करोड़ का डोनेशन अपनी एक सोशल मीडिया मार्केटिंग वाली elevator pitch से निकलवा लेगा। 

ऐसी प्रतिभा तो सिर्फ एक युगपुरुष में ही हो सकती है। 

अब आप पूछोगे, शायद थोड़े गुस्से में भी

कि क्या लगा रखा है यह युगपुरुष out-of-the-box , out-of-the-box 
क्या
किसकी तरफ इशारा करना चाहते हो युगपुरुष, युगपुरुष बोल करके?

क्या है यह out-of-the-box?

यह बॉक्स के बाहर जो out-of-the-box है
वह मायावान है, शक्तिमान है,
डेमोक्रेटिक हैं, डिक्टेटर भी हैं, 
राइटिस्ट हैं, और लेफ्टिस्ट भी हैं,
वह धार्मिक है, पौराणिक है आध्यात्मिक है
मैं तो यह कहूंगा कि वह पुरुष ही नहीं है,
और युगपुरुष भी नहीं है,

वह एक वस्तु है

जिसको टेलीप्रॉन्पटर कहते हैं। 

यही हैं जो Out-of-the-box approach से इस दुनिया को चला रहा हैं। 
और यह टेलीप्रॉन्पटर अपने में एक दूसरा बॉक्स है। 

और इस टेलीप्रॉन्पटर बॉक्स पर क्या प्रसारित होना है यह डिसाइड करती है

एक काल्पनिक सत्य "an Imagined Reality" - 

फ़्रीवास्तवजी
(Free Speech वाले)




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