Time is a dimension.
डायमेंशन की बात तो मैंने यूं ही लिख दी। क्योंकि टाइम तो एक सर्टिफाइड डायमेंशन है। और आजकल डायमेंशन शब्द को इस्तेमाल करने का trend भी चल रहा है।
अब मुद्दे की बात करते हैं -
परीक्षा पर चर्चा के दौरान मोदी जी ने अपने 18 घंटे रोज काम करने का सीक्रेट भारत की जनता के साथ शेयर किया.
अगर आपको 18 घंटे काम करना है तो आपको जो कठिन कार्य है उसको पहले निपटा लेना चाहिए. और उसके बाद जो आसान काम बच जाते हैं उनको आप करते जाइए.
मोदी जी अपने इसी तकनीक की वजह से बड़े-बड़े फैसले चुटकियों में ले लेते हैं. उनके लिए कोई पॉलिसी पैरालिसिस नहीं होता. इसीलिए वह कभी थकते भी नहीं।
नोटबंदी और तालाबंदी जैसे फैसले उन्होंने रात 8:00 बजे लिए थे. इसका मतलब यह उनके लिए एक बहुत ही सरल कार्य था. मोदी जी की यही तो महानता है. ऐसे फैसले जो करोड़ों भारत वासियों की जीवन पर प्रभाव डालते हैं वह उनके लिए बहुत ही आसान कार्य होते हैं. क्योंकि यह सारे कार्य कार्य दिवस के अंत में किए गए थे.
परीक्षा पर चर्चा के इस सुझाव से छात्र बड़े कंफ्यूज हो गए हैं. परीक्षा को पास करने का उनका जो aim है वह डगमगाता नजर आ रहा है. क्योंकि परीक्षाओं को पास करने से ज्यादा अहम चुनौतियों का सामना बताया जा रहा है.
जीवन में चुनौतियों का सामना ही तो हमें अनुभव दे जाता है.
इसीलिए तो मोदी जी के नेतृत्व में बोर्ड एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रतीक्षा; छात्रों और बेरोजगारों को जीवन का अनमोल अनुभव दे रहे हैं.
बात सटीक है. सरकार के लिए कठिन कार्य सरकार बनाना है. जोड़-तोड़ गुणा भाग सब करना पड़ता है. इसीलिए तो चुनावों को प्राथमिकताएं दी गई बोर्ड परीक्षाओं से पहले.
चुनावी रैलियों को संबोधित करना कोई आसान कार्य नहीं होता. This is public speaking after all. इसमें बहुत मेहनत लगती है. इसलिए मोदी जी ऐसे कार्य दिन में ही निपटाते हैं.
क्योंकि सरल कार्य बाद में करना चाहिए.
बड़े भैया अंबानी की टेलीफोन कंपनी को कम से कम समय में नंबर वन पर लाना एक चुनौती थी। लेकिन TRAI की पॉलिसियों ने उस चुनौती का डटकर सामना किया और आज आप जानते ही हो
उसकी वजह से लोगों को लाइन में खड़े रहने की अच्छी प्रैक्टिस भी हुई थी। उसके बाद 2016 के अंत में बैंकों से नकदी डालने निकालने का कार्य बैंक के लोगों और जनता ने हंसते-हंसते निपटा लिया था।
हिंदुत्व की रक्षा एक बहुत ही कठिन कार्य है। इसलिए पूरा का पूरा तंत्र, कपिल मिश्र, मीडिया और आईटी सेल इस विलुप्त होती आबादी की रक्षा को अपना प्राथमिक दायित्व समझ रहे है।
देश का आर्थिक विकास, GDP का GROWTH सहज कार्य हैं, कोई बड़ी बात नहीं, आसान है, बाद में निपटा लिया जाएगा।
सुपर पावर और विश्व गुरु तो भारत को होना ही है।
अयोध्या में राम मंदिर बनाना चुनौती थी उसे पहले देखा गया। अब आप देख लेना मथुरा का मंदिर कितनी आसानी से बन जाएगा।
लेकिन प्रधानमंत्री की आलोचना करने वाले हर बात में लॉजिक घुसाने का प्रयास करते हैं। अरे बोर्ड परीक्षाओं में या फिर कंपटीशन एग्जाम्स में ज्यादा नंबर SCORE करने से ही सफलता मिलेगी। तो विद्यार्थियों को टाइम मैनेजमेंट आना चाहिए।
आसान सवाल पहले निपटा करके आप बोर्ड की परीक्षा में ज्यादा नंबर तो देते आओगे मगर जीवन की परीक्षा में तो फेल हो जाओगे।
आप यह सोचो कि जो अपने टाइम मैनेज करना जानते हैं वह परीक्षा पे चर्चा का भाषण सुनने क्यों जाएंगे। जिसको अपनी PRIORITY अच्छे से पता है वह हाई प्रायरिटी टास्क पर ही फोकस कर रहा होगा। पढ़ाई कर रहा होगा।
ना कि टीवी और सोशल मीडिया पर समय व्यस्त कर रहा होगा।
ऐसी परीक्षार्थी मोदी जी के संदेश के टारगेट ऑडियंस थे ही नहीं। मोदी जी का टारगेट ऑडियंस तर्क से नहीं भक्ति से चलता है।
क्योंकि शक्ति तो भक्ति में हीं होती है।
परीक्षाओं पर चर्चा के माध्यम से मोदी जी उस नर्सरी को संबोधित कर रहे थे, जो कम से कम, अगले पांच दशक संघ एवं संगठन की IDEOLOGY का गुणगान करेंगे।
परीक्षाओं पर चर्चा कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिए ही था। जिनकी परीक्षाओं में पासिंग मार्क सिर्फ 40% है।
इस चर्चा में खामखा बेरोजगार युवा कूद पड़े। अरे भैया मोदी जी कंपटीशन की बात ही नहीं कर रहे हैं। जिन competitive exams का उन्मूलन होने वाला हैं उसके बारे में मोदी जी अपना समय क्यों व्यस्त करेंगे।
और सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वालों को टाइम मैनेजमेंट की बात करना शोभा ही नहीं देता।
भाई अगर तुम लोगों को टाइम मैनेज करना आता तो तुम लोग सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे होते? अपनी जवानी बर्बाद कर रहे होते?
रेलवे के टिकट विंडो पर टिकट काटने वाली नौकरी के लिए क्या तुम साइन-थीटा डेल्टा-गामा, प्लासी का युद्ध, संविधान के अनुच्छेद, किस को कौन सा अवार्ड मिला, कौन क्या है?, फलाना-धमाका-धिमाका, ताशा-बताशा, ऊगोल-भूगोल, यह सब रट्टा मार मार कर के, अपने जीवन को हताश कर रहे होते??
TIME MANAGEMENT KI BAAT KARTE HAIN
भाई तुम खुद सोचो की रेलवे का टिकट अब आप अपने मोबाइल से ही खरीद सकते हो तो फिर टिकट काउंटर पर एक आदमी को बैठाने का, उसके परिवार को जीवन भर पालने पोसने का खर्चा सरकार और रेलवे क्यों उठाएगी?
प्रायरिटी नही जानते???
ON A SERIOUS NOTE, technological advancements की वजह से बहुत से जॉब्स obsolete हो रहे हैं। सरकारी जॉब या प्राइवेट सेक्टर की जॉब; हर जगह ऑटोमेशन और artificial intelligence नौकरियां खाने वाली है।
आने वाला समय चुनौतियों भरा होगा।
और दूरदर्शी मोदी जी आने वाले पीढ़ी को इसी बात का तो हिंट दे गए। :P
चुनौतियों के सामने की प्रैक्टिस अभी से शुरू कर दो।
व्यंगमेव जयते
-फ़्रीवास्तवजी
(Free Speech वाले)
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