अगर कोई व्यक्ति पर्यावरण के बारे में सोचें तो हमें उसका सहयोग करना चाहिए. पर्यावरण के बारे में सोचना एक बहुत ही अच्छी बात है.
मगर, हम ऐसे लोगों को encourage करने की जगह हतोत्साहित कर देते हैं. यह गलत है.
अगर कोई नया नया एनवायरमेंटलिस्ट बने, तो उसको बिगिनर्स लक भी मिलना चाहिए. और अगर वह महिला हो तो कसम फेमिनिज्म की, उसका सम्मान भी होना चाहिए.
नैतिकता अपनी तरफ, लोग तो अपने पूर्वाग्रहों से इतनी ज्यादा ग्रसित हैं की पर्यावरण के बारे में अच्छा सोचने वाले innocent soul को सोशल मीडिया पर भला बुरा कह देते हैं। खामखां troll कर देते हैं।
नई नई पर्यावरण विद सुश्री कंगना राणावत को सोशल मीडिया पर काफी कुछ सहना पड़ रहा है। वह एक जटिल षड्यंत्र का शिकार हो गई है। मतलब किसी के साथ इतना ज्यादा अत्याचार कैसे किया जा सकता है।
वह भी एक महिला के साथ जिसको जेड श्रेणी की सुरक्षा हासिल हो। अनफॉर्चूनेटली, उनके जेड श्रेणी की सुरक्षा उनके ट्विटर अकाउंट को नहीं बचा पाई जो आज सस्पेंड हो गया था और अब उस पर लाइफ टाइम ban भी लगा दिया गया है।
Kangana Ranaut के साथ इंटरनेशनल conspiracy हो रही है। इंटरनेशनल लॉबी environmentalist Kangana से खौफ खा गई हैं।
यह सब २००० वाला विकराल रुप, गुजरात जैसा सबक सिखाओ बंगाल में सिखाओ, यह सब irrelevant बातें हैं। ट्विटर को २० साल पुराने रेफरेंस से क्या लेना देना।
अकाउंट डिलीट करने का यह असली कारण हैं ही नहीं।
पर्यावरण के दुश्मनों ने कंगना की आवाज दबाई हैं।
ऊपर से किसी को यह अंदर की बात न पता चल सकें, इसलिए हिंदू राष्ट्रवादी कंगना की भोली चापलूसी का बहाना लेकर; उभरती हुई पर्यावरणवादी कंगना की आवाज दबाई गई हैं।
अप्रैल के महीने में हमें कंगना राणावत के नए टैलेंट पर्यावरण प्रेम के बारे में पता चला था। जब उन्होंने पर्यावरण दिवस Earth Day 🌎 के समय यह मुद्दा उठाया था कि लोग ऑक्सीजन की कमी से इसलिए मर रहे हैं क्योंकि हमने पेड़ पौधे उस मात्रा में नहीं लगाएं जिस मात्रा में हमें लगाए जाने चाहिए थे।
ऊपर से हम विकास की अंधी दौड़, जनसंख्या विस्फोट और पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में इतनी ज्यादा आ गए हैं कि हमने पेड़ों को बहुत ज्यादा काटा। अब उसी का यह परिणाम है की ऑक्सीजन की किल्लत हमारे देश में कितनी आम बात हो गई है।
अपने कल के फेसबुक पोस्ट में एनवायरमेंटलिस्ट कंगना रनौत ने अपने दूरदर्शी बुद्धिमता का परिचय देते हुए इस बात पर फिर से प्रकाश डाला कि हम ऑक्सीजन प्लांट पर ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं, और अपनी हवा का शोषण कर रहे हैं।
यह ऑक्सीजन प्लांट्स हवा से ऑक्सीजन खींचकर के उनको कंटेनर्स और सिलेंडर्स में बंद कर देंगे। इस तरह एक दिन ऐसा आएगा की हवा में ऑक्सीजन ही नहीं बचेगा।
इंसान सिलेंडर से सांस लेगा मगर बाकी जीव जंतु यहां तक कि माइक्रोब्स दुनिया से विलुप्त हो जायेंगे।
इसलिए हवा का दोहन करने वाले ऑक्सीजन प्लांट्स की जगह हमें हवा को ऑक्सीजन देने वाले प्लांट्स यानी पेड़ पौधे भी लगाने चाहिए।
हवा के ऑक्सीजन का संरक्षण, कितनी सुंदर बात है! और अपने किस्म की पहली।
लेकिन पता नहीं क्यों कंगना रनौत को इस बात पर अपने विरोधियों से आलोचना झेलनी पड़ रही है। लेफ़्टिस्ट और लिबरल विचारधारा के लोगों को तो उल्टा कंगना राणावत का समर्थन करना चाहिए। Environment के बारे उन्हें further educate करना चाहिए।
ग्रेटा थुनबेरी और दिशा रवि को कंगना को personally congratulate करना चाहिए। रमन मैग्सेसे अवार्ड के लिए भी कंगना को नॉमिनेट करना चाहिए।
अगर मैडम को एजुकेट कर दिया जाए की एक आग की जो लौ होती हैं, वो इसीलिए जलती हैं, क्योंकि हवा से उसको ऑक्सीजन मिलता हैं।
सोचों, गहराई से सोचों
अगर कंगना राणावत यह बात समझ जाएंगी तो जहां कहीं भी फालतू का धुआं दिखेंगी उसकी बुझाने का आंदोलन छेड़ देंगी।
स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर हमारी municipality जो कचरे को जलाती हैं, उन सभी अधिकारियों की, एक एक की वॉट लगा देंगी।
वो इतनी बड़ी सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर हैं, कितनी बड़ी फॉलोइंग हैं उनकी। ट्विटर पर कपिल मिश्र से कहीं ज्यादा कंगना का इनफ्लुएंस हुआ करता था। अब नही रहा, यह दुखद समाचार यह लेख लिखने के दौरान ही प्राप्त हुआ 😔
एक समय था सबसे ज्यादा तो आग तो वो खुद लगाती थी। लेकिन अब वो प्रदर्शनकारियों को दंगो में टायर जलाने से रोकती हुई पाई जाएंगी। शासन प्रशासन के लिए वह कितनी मददगार साबित होंगी जब साक्षात मणिकर्णिका वाटर कैनन अपने हाथ में लिए खड़ी दिखेंगी।
मोदीजी का उज्ज्वला जो नहीं कर पाया, लकड़ी के चूल्हे के खिलाफ वो मुहिम चला सकती हैं। तनुजा त्रिवेदी गांव गांव कस्बे कस्बे जाकर के महिलाओं को एलपीजी सिलेंडर यूज करने के लिए प्रेरित कर सकेंगी।
विंड मिल से ऑक्सीजन उत्पादन के लिए वैज्ञानिकों को वो प्रेरित कर सकेंगी।
हवा का ऑक्सीजन व्यर्थ में ना जल जाए उसके लिए वो अगरबत्ती, दिया, दीपक, कपूर, अखंड धुआं, हवन कुंड, होलिका दहन, लोहरी, दिवाली के पटाखे, कुछ भी नही जलाने देंगी।
जो हिंदू फोबिक है उनको तो इस बात पर जश्न मनाना चाहिए कि कंगना राणावत ने पर्यावरण के ऑक्सीजन के बारे में बोलना शुरु कर दिया हैं।
कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के लिए यह कितना शुभ संकेत हैं। Identity Crisis से गुजर रही इन पार्टियों को एक environMENTALIST flag bearer मिल गया। अब narrative बदला जा सकता हैं।
हिंदुत्व के narrative को environment के नाम पे मोल्ड किया जा सकेगा।
हां वो मोमबत्ती गैंग वालो को मोमबत्ती भी नही जलाने देती, JNU के students तो चलो अब वैसे भी सर्दी की रातों में बोनफायर नहीं कर पाते। लेकिन फिर भी लिबरल एजेंडा प्रोपेगेंडा को खोने के लिए कुछ नहीं हैं।
लेकिन सोचो इस अत्यंत ज्वलनशील दुनिया में कंगना राणावत शांति की मशाल लेकर आगे बढ़ सकती हैं। माफ कीजिएगा, मशाल नहीं, कुछ और, त्रिशूल, तलवार, थाली, ऐसा कुछ ।
सरकार को भी शमशान के आगे आर्टिफिशियल दीवार लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पत्रकारों को शमशान की तस्वीर ना लेने के लिए हड़काना भी नहीं पड़ेगा।
ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी से मरने वाले लोगों से भी कंगना राणावत चिता पर नहीं जलने का आग्रह करती हुई नजर आएंगी क्योंकि इससे पर्यावरण के ऑक्सीजन की बचत होगी।
इस बार कंगना ने वाकई बहुत दूर की सोच ली हैं। Too ahead of its time.
लेकिन उनकी यह सोच; Elon Musk को भी प्रभावित कर गई है। क्योंकि कंगना ने जो empathy का परिचय दिया है, उसको Elon Musk जैसा आदमी ही समझ सकता है जो भविष्य में मार्स पर बस्तियां बसाने का Vision रखता है।
जब मानव मंगल पर रहना शुरू कर देगा, तब आज के आलोचकों को कंगना राणावत की बात समझ में आएगी की ऑक्सीजन कितना अनमोल है और उसका प्रोडक्शन इतना सरल भी नहीं।
- फ़्रीवास्तवजी
(फ़्री स्पीच वाले)
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