धरना from Home part 2

नमस्कार! आज़ हम प्रोटोकाल का पालन करते हुऐ,धरना फ्रॉम होम कर रहे हैं! आज का प्रोटेस्ट हम उन सभी प्रोटेस्टर्स के खिलाफ कर रहे हैं जो मोदी जी के बारे में भला बुरा कहते हैं, उनकी आलोचना करते हैं।

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एसी कमरे में बैठ कर के फेसबुक ट्विटर पर सरकार की आलोचना करना आसान है। और हम ऐसे आलोचकों की कड़ी निंदा करते हैं।इसलिए आज हम अपने घर से उतनी ही आसानी से आलोचकों की आलोचना करेंगे।


हमारी दाढ़ी काली है लेकिन प्रभावित तो मोदीजी से ही है


मोदीजी की महिमा को समझने के लिए एक जीवन भी पर्याप्त नहीं. ऊपर से उनका अतीत भी काफी डायनेमिक हैं।

मगर मैं कोशिश करूंगा की अगले पांच मिनट में उनकी चापलूसी आप तक पहुंचा सकूं।

शुरू करें? 

आप को समझना चाहिए कि मोदी जी इंसान नहीं विष्णु का अवतार है। मोदीजी सन्यासी हैं, मोदी जी ब्रह्म ज्ञानी है। लेकिन इन सभी ब्रह्म राक्षसों ने मिलकर, देश में उनके खिलाफ माहौल बहुत नेगेटिव कर दिया है ।


इन लोगों ने तो सम्मोहन विद्या सीख ली है। बताओ कल की डेट में जो मोदी के समर्थक हुआ करते थे, भक्त हुआ करते थे, आज वह भी मोदी जी पर सवाल उठा रहे हैं।


शर्म आनी चाहिए, पिछले 7 साल की भक्ति भूल कर के आप 70 साल वालों के चंगुल में फंस गए।

इंसान को अपना पॉलिटिकल स्टैंड क्लियर रखना चाहिए। आप कभी इसको सपोर्ट करोगे आप कभी उसको सपोर्ट करोगे तो जो वोट बैंक की राजनीति पर रिसर्च करते हैं, वह तो कंफ्यूज हो जाएंगे ना।


फिर आप ही शिकायत करोगे की एग्जिट पोल गलत होते हैं, biased होते हैं।

मोदी जी लोगों का कितना ख्याल रखते हैं कि पीएम केयर्स फंड बना दीये हैं।

लोग कहते हैं कि पीएम नेशनल रिलीफ फंड था तो? तो क्या? देख नहीं रहे हो इंटरनेशनल फंड से भी मदद आ रही है हमारे देश में।

"इंटरनेशनल हेल्प" का आलोचक लोग हिसाब क्यों नहीं मांग रहे हैं। बस आपको पीएम केयर्स फंड का हिसाब चाहिए।

क्यों भाई?

दूसरे देश के टैक्सपेयर का पैसा टैक्सपेयर का पैसा नहीं होता है क्या? अच्छा डॉलर होता है। फिर भी हिसाब तो मांगों

यह मोदी जी की सफल अंतर्राष्ट्रीय नीति है। दुनियाभर के देश हम पर दया करके नहीं दान दे रहे हैं।


यह सब मोदी जी की आभा है, उनका प्रभाव हैं, उनका चमत्कार है।

क्योंकि मोदी जी ग्लोबल लीडर है ना इसलिए।

मनमोहनजी की सरकार में भी कितनी विपदाएं आई थी;  लेकिन कभी किसी ने इंटरनेशनल मदद पहुंचाई? नहीं ना! यह तो सिर्फ; मोदी है तो मुमकिन है।


अब हम बात करते हैं मोदी जी के आत्म निर्भर भारत के बारे में।

उन्होंने देश को आत्मनिर्भर बनाया। Make in India policy लेकर के आए।


दुनिया भर को हमने दवाई और ऑक्सीजन भेजा, इसीलिए अब वही ऑक्सीजन मदद के रूप में वापस आ रहा हैं। आत्मनिर्भरता देखो, यह मोदी ने ही तो हमें सिखाया है।


उसी Twitter, Facebook पर जिस पर तुम लोग आलोचना करते हो, उसी प्लेटफार्म पर पूरी की पूरी हेल्पलाइन इंडस्ट्री evolve हो गई हैं।

भूल गए, आपदा की बस में अवसर बैठा होता है

यह भी तो लोग ही हैं ना जो खाली नहीं बैठे हैं, जरूरतमंदों तक मदद पहुंचा रहे हैं।

सिस्टम के भरोसे ना बैठ कर लोग आत्मनिर्भर हो गए हैं।

आप भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर फासीवाद का आरोप लगाते हो। लेकिन बंगाल की हिंसा पर कुछ नही बोलते। आपकी संवेदना सिर्फ ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ने वालो के प्रति हैं? उन कार्यकर्ताओं के प्रति नहीं, जिन्होंने बंगाल की रैलियों को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाईं।


आलोचकों, यह सेलेक्टिव क्रिटिसिज्म एक्सपोज हो गई आपकी। तृणमूल की आलोचना करने में मुंह में दही जम जाता हैं। एक्सपोज कर दिए आपको, दो नजर से देखते हो।


मोदीजी को देखों, सवा सौ करोड़ देशवासियों में कोई भेदभाव नहीं करते।

He is not selective at all, उन्होंने इसीलिए दोनो के बारे में कुछ नही बोला।


समता का स्वभाव, गीता में लिखा हैं। इसलिए जिसको आप चुप्पी कहते हो, वो मदीजी का कर्मयोग हैं।


वैसे भी hospital और violence राज्य सरकारों को देखना हैं। मोदीजी भारत के संविधान और फेडरल स्ट्रक्चर का सम्मान करते हैं।

और यह जो वैश्विक महामारी फैली हैं, उसका दोष आप मोदीजी को देते हो? वो तो बंद कमरे में भी मास्क लगाते हैं, बाथरूम में भी रेनकोट पहन कर बैठते हैं।


बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोई, खुद का जब अवलोकन किया तो पता चला मुझसे बुरा ना कोई।

जब केसेस कम थे, तो आप लोगों ने मास्क पहनना ही छोड़ दिया। आपको अपने डिसिप्लिन पर सवाल उठाना चाहिए। बड़ी बड़ी रैलियों में बिना मास्क पहने चले गए।

आपके मास्क ना पहनने की वजह से प्रशासन को कितनी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।

खड़ी दुपहरिया में पुलिस के कार्यकर्ताओं को यह देखना पड़ता है की गाड़ी के अंदर आप मास्क पहन कर बैठे हो या मास्क निकाल कर बैठे हो। आपकी वजह से सिस्टम पर कितना लोड है।


वरना यह बीमारी तो भारत से ऑलमोस्ट चली ही गई थी। लेकिन आपकी लापरवाही ने इसको वापस बुला दिया। और सिस्टम के चर मराने का ठीकरा आप मोदी जी पे फोड़ोगे?


सिस्टम कौन चलाता है? कोई दूसरे देश का चलाता हैं क्या? नहीं ना!

आप जैसे ही लोग चलाते हो ना? तो फिर सरकार की आलोचना क्यों करते हो अपनी आलोचना करो!

जहां तक का रास्ता दिख रहा है पहले वहां तक तो पहुंचो, उसके आगे का रास्ता आपको वहां पहुंचने के बाद दिखेगा।

अभी यहां तक आ ही गए हो, तो लाइक कमेंट शेयर और सब्सक्राइब करके जाना।

फ़्रीवास्तवजी
(फ़्री स्पीच वाले)



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