Negative माहौल Positive चर्चा


हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करेंगे जिसकी कोई बात नहीं कर रहा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स की भीड़ में जरुरी विषय आँखों से ओझल हो जाते हैं. मगर आज नहीं; आज हम आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी को पहचानेंगे!

शुरू करें? आज्ञा दीजिये - watch this on YouTube

पिछले एक डेढ़ महीने से माहौल बहुत ही नेगेटिव हो गया है. इस वैश्विक महामारी की वजह से हम लोगों की प्राथमिकताएं बदल गयीं हैं.

यहां तक कि हमारे समाचार चैनल भी अब अपनी टॉप प्रायरिटी को कवर नहीं कर पा रहे हैं.

एक जमाना था, सात साल और उसके भी पहले; जब हमारी देशभक्ति सिर्फ भारतीय पाकिस्तान के क्रिकेट मैचेस और 15 अगस्त 26 जनवरी को ही जाती थी।

लेकिन पिछले 7 सालों से; जब से एक नए युग का प्रारंभ हुआ, हमारे अंदर राष्ट्रहित और राष्ट्रभक्ति की जन्म घुट्टी का अविरल प्रवाह हो गया था।
विभिन्न माध्यमों से राष्ट्रवाद का प्रसारण हम तक होता रहता हैं।

वंदे मातरम गाओ, जो न गाये उसको बजाओ.
राष्ट्रवाद का क्रैश कोर्स करवाओ, देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांटो!
अपनी राष्ट्रप्रेम का प्रदर्शन करना ही हमारा राजधर्म हैं.

हमने कितनो को राष्ट्रवाद के पैरामीटर पर fail होने पर travel advisory जारी करते हुए पडोसी मुल्क़ों में जा कर बसने का फरमान दिया।

लेकिन आज इस राष्ट्रवाद के प्रसारण में एक बाधा आ गई है। यह नाश-पीटी वैश्विक महामारी कि जो सुनामी आई है; इसकी वजह से देशभक्ति का बैरोमीटर डाउन होता जा रहा हैं।

यह एक चिंता का विषय हैं।

कितने दिन हो गए रात को समाचार चैनलों पर रफाएल विमान का महिमामंडन देखे हुए।

अगली डेलिवेरी कब होंगी फाइटर जेट्स की पता ही नहीं चल पा रहा हैं?

अस्त्र,शस्त्र, पनडुब्बी, युद्धपोत, टैंक और दूरगामी मिसाइलों की खबरें देखें एक अरसा बीत गया है।

लद्दाख, सियाचिन, कारगिल, उरी और पैंगोंग लेक के नज़ारों की क्रेविंग हो रही हैं. टीवी पर यह सब वापस दिखाओ न्यूज़ में!

यहां तक की - आजकल तो DRDO भी एक फार्मास्यूटिकल कंपनी बन गई है। सोनम वांगचुक के भी वीडियोस वायरल नहीं हो रहें!

राष्ट्रवाद का Shortage हमारी रक्षा नीति के लिए बहुत घातक है। लंबे समय तक ट्विटर वॉरियर्स का defensive रहना; newsroom को हमारे पड़ोसी मुल्कों को न हड़का पाना उचित नहीं हैं।

ऊपर से एक लंबे अरसे से ना तो कोई देशभक्ति फिल्म आई और न ही राष्ट्रवादी वेब सीरीज। समाचार चैनलों पर राष्ट्रवाद की बातें ना बता कर के अवसरवाद की बातें ज्यादा बताई जा रही है।

नेगेटिविटी फैलाई जा रही है।

राष्ट्रहित रेमदेवेसीर और ऑक्सीजन सिलिंडर में नहीं अग्नि, तेजस और त्रिशूल में हैं.

शस्त्रमेव जयते

विचारकों और प्रचारकों ने कितना समझाया की हमें सकारात्मक समाचारों को ही फैलाना चाहिए। लेकिन बुद्धिजीवियों और आंदोलन जीवीओ को नकारात्मकता फैलाने का मौका मिल गया हैं। ऊपर से पश्चिमी मीडिया ने हमें बदनाम करने वाला षड्यंत्र फिर से चालू कर दिया हैं.

एक दूरदर्शी फिलॉस्फर ने कहा था - गिलास आधा भरा या आधा खाली नहीं है, गिलास पूरा भरा है थोड़ा पानी है और बाकी हवा है।

बात Logical हैं, देख लो आजकल हवा की कीमत है पानी से ज्यादा है। इसलिए किसी भी परिस्थिति में गिलास खाली हो ही नहीं सकता।

हमें सकारात्मक होना ही चाहिए।

आंदोलनजीवी आलोचना करते हैं कि हमने ढेर सारा ऑक्सीजन विदेशों में एक्सपोर्ट किया। लेकिन इसका एक ब्राइट साइड है जिसके बारे में कोई चर्चा ही नहीं हो रही हैं।

हमने जो ऑक्सीजन विदेशों में बेचा था उससे मोटा मुनाफा हुआ था। और अब वही ऑक्सीजन आपदा की बस में बैठ कर के हमारे पास मुफ्त में राहत सामग्री के रूप में वापस आ चुका है।

इस बात पर गर्व करों। प्राथमिकताओं को समझो! मास्टरस्ट्रोक को पहचानो!

अब हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन भी है, देर सबेर सब तक पहुंचा दिया जाएगा। थोड़ा धीरज रखो भाई।
अब तो टेस्टिंग (read Cases) भी कम हो रहे हैं .

देशभक्ति जगाओ - देशभक्ति दिखाओ - चीन के उत्पाद नहीं खरीदने की कसम इस साल भी खाओ. हमारी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व करो..

नालंदा विश्वविद्यालय की गरिमा का स्मरण करो. चाणक्य, चन्द्रगुप्त और चंदवरदाई, पृथ्वी शाह --- पृथ्वी राज चौहान की गौरव गाथाएं याद करो!
शिवाजी, तान्हाजी, महाराणा प्रताप, मणिकर्णिका के पराक्रमों का पाठ करो!

भगत सिंह के विचारों को नमन करो!

भगत सिंह ने अंग्रेज बेहरो को जगाने के लिए जिस संसद भवन में धमाके किये थे और अपनी गिरफ़्तारी दी थीं; आज वह संसद - लुटियन दिल्ली का प्रतिक - अंग्रेजो के दमनकारी इतिहास का प्रतीक - विराट सेंट्रल विस्टा के निर्मार्ण के बाद museum बनने जा रहा हैं.

विराट केंद्रीय विस्टा में सम्राट का भवन! जहाँ हर प्रजाति के मोर विचरण करेंगे! कितना दर्शनीय नज़ारा होगा!

इस बात पर गर्व करों। प्राथमिकताओं को समझो! मास्टरस्ट्रोक को पहचानो!

देशभक्ति के लिए जागो, देशप्रेम और राष्ट्रवाद अलग अलग हैं; यह दोनों एक दूसरे के समान्तर हैं; इनके बीच का अंतर पहचानो मेरे भाई.

दो समान्तर रेखाएं अनंत में भी नहीं मिलती; इस बात को समझो!

देशप्रेम की आढ़ में गद्दारों को पहचानो! राष्ट्रवाद के आलोचकों को पहचानो! समय आ गया हैं उनको तोड़ डालो, डरा डालो, सहमा डालो!

अभिव्यक्ति की आज़ादी मांगने वालो को चुप करना राष्ट्रहित में जरुरी हैं.

कर्मयोगी सन्यासी फ़क़ीर की बदनामी देश की बदनामी हैं.








(Free Speech Wale)

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